
सबके कदम लड़खड़ा रहे हैं। बदहवास से भाग रहे हैं। किधर जाएँ? सबकी जमीन खिसक रही है। खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे वाली बात है। सो खम्भा न होते हुए भी बिल्ली बीच में आ गयी। अपना वजूद बताने के लिए,जो उसे खुद खोया हुआ नज़र आ रहा है। अजीब हालत है। सपा में घमासान है।मुस्लिम राजनीति बेनकाब हो रही है। वो कहते हैं कि मुसलमान हमारा है। और मुसलमान कहता है कि मुसलमान इंसान है। फिर दूसरा कहता है कि मुसलमान भाजपा के इशारे पर है। आने वाले समय में कोई बड़ी बात नहीं मुस्लिम रसजनीति का नया चेहरा सामने आएगा। यह भी सम्भव है कि बरेली इस दिशा बड़ी पहल करे। अब यह तो तय है कि मौलाना तौकीर फिर से सपा में नहीं जा रहे ,मगर जाएंगे कहाँ,ये देखने वाली बात है उके रास्ते कि निगरानी और घेराबंदी शुरू हो चुकी है। पुराने जानी दुश्मन दोस्त हो रहे हैं। लम्बी अदावत ख़त्म हो रही है।
फिलहाल बरेली में राजनीति के मोर्चे पर दो नए आयाम दस्तक दे रहे हैं जिसमे तलवार की धार पर सपा है ,न निगलते बन रहा है न उगलते। निशाने पर मुसलमान राजनीति है और खास बात यह है कि मुसलमान राजनीति का एक नया चेहरा सामने आ रहा ही जिसको कोई स्वीकार करने को तैयार नहीं है ,वह यह बरेली मरकज़ के मौलाना तौकीर चीख चीख कर कह रहे हैं कि वो और हिन्दुस्तान के नागरिक भारतीय हैं और हर मुसलमान भारतीय है तो आखिर मुसलमान का क्या मतलब है?मगर उनकी इस बात को भाजपा के पक्ष में बताकर उन्हें भी भाजपा से जोड़ा जा रहां है। जब बसपा ने अपने उम्मीदवार का टिकट कटा तो भी यह कहा गया कि भाजपा ने कटवाया। मतलब तौकीर जो करें सो भाजपा,बसपा जहाँ बिना बहिन जी के पत्ता नहीं हिलता वो भी भाजपा, सीधे नाम नहीं लेते- संतोष गंगवार का बस इतनी सी बात, उनके हर बात को राजनीतिक बना देने के लिए काफी है। उन्हें लगता है कि नाम नहीं लिया है मामला राजनीतिक हो गया।
सपा उम्मीदवार आएशा के खिलाफ बरेली के मुलमानों में खासी पैठ रखने वाले आलाहजरत खानदान से जुड़े मुलाना तौकीर ने अपनी पार्टी के इत्तेहाद मिल्लत कौंसिल के मोर्चे से जंग छेड़ दी है। इनका मकसद खुद सपा के टिकट से लड़ने का है। इसके खिलाफ आएशा के ससुर और राजनीनित के मंझे खिलाड़ी इस्लाम साबिर ने उन्हें चुनौती दी कि वे आयें फिर उन्हें देखा जायेगा। सपा की तौकीर से जुगल बंदी कांग्रेस को भी रास नहीं आ रही थी। तो अंदर खाने एक और जुगल बंदी शुरू हुई है कांग्रेस +सपा। पार्टी ने नया पैमाना जारी कर दिया है। सब जगह घूम ए हैं अब नयी जमीन देखनी है।
तौकीर मियाँ ने सपा दरबार में अपनी बात रखी मगर नहीं बनी कांग्रेस उन पर डोरे डालने लगी ,वो कई दिन से दिल्ली में थे और उनकी बात भी कई नेताओं से हुई है। तौकीर मियां की अदावत कांग्रेसी सांसद प्रवीण एरन से पुरानी है ,तो उनके इस कदम से एरन का झटका लगा। उन्होंने झट से तौकीर के सपा छोड़ने को संघ और भाजपा का करीबी बताया गया। और ताकीर मियाँ ने अपनी तकरीर में कह भी दिया कि सपा तो आरएसएस से भी खतरनाक है। बस यह तो तय हुआ हुआ कि तौकीर का सपा से नाता ख़त्म ,अब उनका कदम खाईं बढे इसके पहले ही भाई लोग जुगल बंदी करने लगे। पहले जब केजरीवाल एक बार तौकीर से मिले तब उन्हे फिर घेर लिया और फंदे में आए केजरीवाल कि तौकीर से मिलकर केजरीवाल भी साम्प्रदायिक हो गए,जब खुद की दोस्ती थी तब तौकीर से मिल्कर खुद को सेकुलर बता रहे थे ! अब सपा का तौकीर से याराना खत्म हुआ तो जाहिर है उनका रुख बदला ,वो दिल्ली में थे खबर आयी कि २४ अकबर रोड तक घूम आये ,बस फिर शुरू हुआ कोहराम।जाहिर है उनको भाजपा का करीब बता दिया जाए तो कुछ नहीं तो खुद को तो तसल्ली आये।
.... और डा तोमर भी आप से मुखातिब हैं !
.... और डा तोमर भी आप से मुखातिब हैं !
एक और मोर्चा खुला है नगर निगम में। इसके तार बहुत ऊपर तक हैं और इसका ताल्लुक भी मुस्लिम राजनीति की से हो रहा है। यहाँ के मेयर डा आई ई एस तोमर जीते तो निर्दलीय मगर बाद में सपा ने उन्हें अपना मान लिया। न सपा ने दिल से अपनाया और न तोमर ने सपा की दाब धौंस सुनी। अब निगम के नगर आयुक्त ने मेयर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया ,यहाँ तक कि दोनों में सरे आम निगम की बैठक में आरोप प्रत्यारोप हुए। मेयर ने इस्तीफ़ा दे दिया साथ में ५० सभासद तक उनके साथ हैं , बाकि उनके खिलाफ नहीं हैं। मगर बाकि दल चुप, उनकी अपनी पार्टी चुप, सरकार चुप। यहाँ तक कि निर्दलीय निर्वाचित मेयर अभी चुप हैं और निगम के आयुक्त छुट्टी पर,निगम में शान्ति भी एक नए संकेत दे रही है। डा तोमर अब नयी डगर पर हैं ,उनके पास आप का न्यौता आ चुका है स्वभाव से शांत और आरोप प्रत्यारोप की राजनीति न करने वाले डा तोमर धीरे से अपने कदम बढ़ा चुके हैं। नयी जमीन वाले अब उनकी तरफ भी तीर निकालेंगे ही। फिलहाल बसपा सपा में जो घमासान है उसमे कांग्रेस कि रेटिंग की नौबत ही नहीं आप पा रही है। बस यही सबसे सब ब बात है बेचैनी की !
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