होली के मौके पर मस्ती में डूबे पूजा सेवा संस्थान के बच्चे। |
खुशीमे करते नाचते गाते बच्चे ! |
काफी समय से सोच रहा थे इन बच्चों के साथ कुछ समय बिताने केअवसर मिले। आज मित्र पीपी सिंह ने अचानक बताया की पूजा सेवा संस्थान में होली का उत्सव है। बच्चे होली खेलेंगे। आइये। स्कूल में प्रवेश करते ही एक बच्चे ने हाथ मिलाकर मेरा स्वागत किया। अद्भुत एहसास था। इन्हें मालूम है कोई आया है ,उसका स्वागत करना है। आगे बढ़ा तो हाल में होली खेलने के लिए तैयार बैठे बच्चे एकएक करके हाथ मिलाने को बेताब। मुझे लगा- जितना प्यार इन बच्चों के भीतर कुदरत ने भर दिया है ,वही इनका जीवन और जीवन की ऊर्जा है। हम खुद को सामान्य पढ़ा-लिखा कुछ भी समझ लें ,हमारे पास शायद उतना प्यार इन्हें देने के लिए नहीं है, जितना वह इस दुनिया में प्राकृतिक उपहार के रूप में लेकर आए हैं। हम उसकी कल्पना भी नहीं कर सकते।
एक शुभी है। मैंने पुछा क्या पढ़ती हो ?तपाक से बोली मैं पढ़ती भी हूँ पढ़ाती भी हूँ। मैंने कहा पढ़ाओ ,पास बैठे बच्चे से बोली चलो पढ़ो और शुरू हो गयी वन टू थ्री -मैंने कहा नहीं ,हाल में आकर सारे बचो को पढ़ाओ। उठी और हाल के बीच में आ गयी,ऐसे सारे बच्चों को कमांड किया जैसे वाकई टीचर की जिम्मेदारी उसी के ऊपर है। सबको अपनी तरफ आकर्षित करके उसने एबीसीडी पढ़ानी शरू कर दी। मैं हतप्रभ था। एक और बच्चा मेरे पास आया। बोला आप मेरे दोस्त। मैंने कहा पक्का दोस्त। वह ठीक से बोल नहीं सकता था ,मगर अपने हाव भाव से उसने मेरे कंधे पर अपना हाथ रखते हुए मुझे एहसास कराया कि वह क्या कह रहा है। "इस दोस्त का यह आत्मीय भाव मुझे भीतर तक एक सच्चे दोस्त का अहसास करा गया"।
इतना ही नहीं कुछ उदारमना समाज सेवियों ने तो स्कूल के सफल संचालन के लिए कुछ बच्चे गोद ले लिए हैं,और उनकी फीस आदि का खर्च वह खुद उठाते हैं।
स्कूल में वैसे तो कोई फीस निर्धारित नहीं है ,जिसकी जितनी सामर्थ्य हो ,वह उतना दे देता है। न्यूनतम और अधिकतम की कोई सीमा इसलिए नहीं तय की जा सकती क्योंकि बच्चों को अधिकतम सुविधा देने की कोशिश ही उनका लक्ष्य है। बहुत सीमित संसाधनों में ,एक किराये के मकान में खोले गए इस स्कूल में आज बच्चों के लिए एसी भी लगा दिए गए हैं,जो इनकी सेहत और सुविधा के लहाज से बहुत जरूरी था। इन बच्चों की शिक्षा के बजाए उनका लक्ष्य यही है कि बच्चे जितने भी सक्षम हैं उनकी उस स्थित में और गिरावट न आये और वह दिन प्रतिदिन विकसित होकर खुदके काम में सक्षम हो जाएँ ,उनके भीतर संभव हो उनकी छिपी प्रतिभा को विकसित किया जाए इसके लिए स्कूवल का स्टाफ तन प्राण से लगा रहता है। इसी का नतीजा है कि आज स्कूल के बच्चे बेहतरीन नृत्य और अन्य एक्टिविटीज़ में सक्षम हैं। कोई फोटो स्टेट करना जनता है ,तो कोई काफी अल्पविकसित बच्चों को सम्हालने में मदद करता है ,तो कोई बच्चों को फिजियोथेरपी करवाता है।
पूजा सेवा संस्थान में एक जिम भी है , लगभग सभी जरूरी मशीनें लगा दी गयी हैं ,एक फिजियोथेरेपिस्ट भी है ,जो बच्चों को नियमित अभ्यास करवाते हैं ,जिससे उनकी शारीरिक और मानसिक विकास में मदद मिलती है। अब काफी बच्चे खुद भी आगे आकर की पहल करते हैं। इतना ही नहीं स्कूल की शिक्षिकाएं इन बच्चों को इतना स्नेह देती हैं की बच्चे उनसे इस कदर अपना पन महसूस करते हैं जिससे उन्हें घर की कमी महसूस ही नहीं होने दी जाती ,कोशिश यही रहती है ,फिर भी ये बच्चे खुश रहें यह मुख्य लक्ष्य है।
बच्चों की सुरक्षा का स्कूल में ख़ास ध्यान रखा जाता है। इसके लिए जरूरी स्टाफ के साथ सीसी टीवी कैमरे भी लगवाए हैं,आख़िरकार ऐसे बच्चों की जिम्मेदारी एक बड़ी चुनौती है। अक्सर कोई बच्चा अचानक स्कूल से बाहर निकल भी जाता है ,तो उसे फौरन देख लिया जाता है। बच्चों को घर से लाने ले जाने के लिए वाहन की भी व्यवस्था की गयी है। स्कूल के बारे में ऑनलाइन जानकरी प्राप्त करने के नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।
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