डा फरीदा सुल्ताना |
आज़ादी के 70 साल बाद भी आज भा मुस्लिम समाज वहीँ खड़ा है, जहां से उसने आज़ादी के बाद हिन्दुस्तान की तरक्की का वह सपना संजोया, जिसने मुस्लिमों के भीतर भी देश पर मर मिटने का जज़्बा पैदा किया था ,जो उस समय पूरे अखंड भारत के जेहन में था।देश के तमाम राजनीतिक दलों के वोट बैंक बन चुके मुस्लिम समाज से पूछ रही हैं राष्ट्रवादी चिंतक ,विचारक -डा फरीदा सुल्ताना
आबादी के हिसाब देखा जाए तो आज भारत में मुस्लिम समाज देश की कुल आबादी का लगभग पाॅचवा हिस्सा है, इसके बावजूद जातिगत राजनीति के दौर में यह समाज कहीं भी नहीं ठहरता । ऐसा नहीं है कि अंग्रेजों से आजादी की लड़ाई में भारत के मुस्लिम नहीं थे ,मगर हाँ उस समय सब भारतीय ही थे। आज़ाद होने से कुछ ही समय पहले भारत के नीति नियामकों ने एक स्वरचित और सुविचारित षड्यंत्र के तहत जातिगत जहर से विभाजन की रेखा खींची ,नतीज़ा है कि आज़ादी के 70 साल बाद भी आज भारत का मुस्लिम समाज वही खड़ा है जहां से उसने आज़ादी के बाद हिन्दुस्तान की तरक्की का वह सपना संजोया था, जिसने मुस्लिमों के भीतर भी देश पर मर मिटने का जज़्बा पैदा किया था ,जो उस समय पूरे अखंड भारत के जेहन में था। नतीजतन ७० साल बाद भी भारत का मुस्लिम समाज वहीँ खड़ा तरक्की के सपने देख रहा है,जहां पहले था ।
आज भी मुसलामानों के सामाजिक,आर्थिक,शैक्षिक स्तर में कोई बड़ा बदलाव तो आया नहीं बल्कि उन राजनीतिक दलों की आँख की किरकिरी बन जरूर गए जिनके वोटर उन्हें नहीं बनने दिया गया महज इसलिए देश में जातिगत आधार पर एक विभाजन रेखा स्पष्ट रूप से खींची जा चुकी थी। थे । सवाल यह है कि मुस्लिम समाज जिन पार्टियों और नेताओं का पिछलग्गू बना रहा ,उनका रवैया भी मुस्लिम समाज के प्रति कैसा रहा,यह आज के हिन्दुस्तान का मुसलमान खूब अच्छी तरह समझ चुका है ।दूसरी अहम बात यह है की मुसलमान जिन पार्टियों के साथ लगे रहे उन सबके नेता भी हिन्दू ही हैं ,इसका मतलब है कि मुसलमानों के लिए केवल भाजपाई हिन्दू ही राजनीतिक तौर पर अछूत है । राजनीति में सब एक दूसरे को गाली भी देते है, झगड़ते भी है पर बाद में सब एक हो जाते हैं लेकिन इस जंग में मुस्लिम कहां खड़े दिखाई देते हैं? वहतो बस इतने भर से खुश हो जाते हैं कि गैर भाजपाई हिन्दू नेता ने रमज़ान में रोजाअफ्तार करा दिया, किसी दरगाह में टोपी पहन कर चादर पोशी कर दी, और मुस्लिमों ने मान लिया ।
मेरा तो हमेशा से मानना है कि मुस्लिम भीभारतीय हैं । इस देश के कानून को मानना उनका भी उतना दायित्व है कर्तव्य है जितना किसी अन्य भारतीय का। फिर मुख्य धारा से मुस्लिम ही अलग क्यों ? । देश वन्दे मातरम बोलता है हम आँखे तरेरते हैं । देश भारतमाता की जय बोलता है हम खामोश रहते हैं, क्यों ॽ क्या केवल इन दो नारों से हमारा ईमान खतरे में पड़ जाएगा । क्या हमारा ईमान इतना कमजोर या फिर मोम का है जो पिघल जाएगा, शायद नहीं । तो फिर आपको देश के साथ चलने में दिक्कत कहां है । क्यों आजतक आप उन राजनीतिक दलों के साथ खड़े रहे जिन्होंने आपका सिर्फ इस्तेमाल किया।
आज देश में हमारी पहचान देशविरोधी की बन गई ,इसका कारण भी ये गैर भाजपाई दल ही हैं ।आज यदि कांग्रेस सत्ता में आ भी जाती तो हम आप अडानी अम्बानी नहीं बन जाते । जहां थे वही रहते । सच्चाई यह है कि हमारी औकात बडा बनने की नहीं है । अब वक़्त आ गया है कि चलना हिन्दुओं के पीछे ही है तो भाजपा के हिन्दुओं के पीछे चलने में दिक्कत नहीं होना चाहिये । गम्भीरता से सोचने का समय है क्योंकि मुस्लिम समाज को देश की मुख्यधारा से अलग थलग करना भी गैर भाजपाई दलो की रणनीति का ही हिस्सा है। यदि मुस्लिम समाज ने अभी भीआँखें नहीं खोली तो पीढ़ियां अन्धेरे में रहने को मजबूर हो जाएगी। मुझे यकीन है जिस दिन आपकी सोच बदल जाएगी उसी दिन से हमारे बच्चों का भविष्य उज्ज्वल दिखने लगेगा । सिर्फ वोट ही आपका सोच भी आप ही की ,मगर किसी और की बनाई हुयी ।
1 टिप्पणी:
Apke is lekh se mai kafi hud tak sehmat hoon, kintu BJP k qaddavar netao ko bhi muslimo k oirti apne man se mail hatana hoga, Muslim bachche suar ki paidaish, qabristan se nikal kar rape karna, Pakistan bhejna Mob lynching adi jaise gambhir vishyo pr apna rukh saaf krna hoga, madarso ko hamesha atankvadi sanstha ki nazro se dekhna, Muslim hatyaro k sath mynch sajha karna, jelse choothne or unhi puruskirt krna, avam unka swagat karna adi is ore bhi dhyan dena hoga.
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