4 मार्च 2014

पनडुब्बी हादसे रोक सकते हैं राजीव मोहन ,केंद्र को दिया प्रस्ताव !

कुछ भी देखने का यह अंदाज़ ही उनकी सोच को जुनून बना देता है 
र दम कुछ कर गुजरने  की तमन्ना इंसान की सोच को उस जुनून में बदल देती है, जहाँ से उम्र के किसी भी मोड़ पर उसे ज़िदगी चैन से नहीं बैठने देती ,और यही बेचैनी एक ऐसा इतिहास बना देती है, जिसे पढ़कर ज़िन्दगी खुद पर इतरा भी जाए तो बड़ी बात नहीं।  बात हो रही है उस नौजवान , की जिन्होंने जो आज भी उम्र के 66 वें वर्षं में फिर कुछ कर गुजरने की तमन्ना और हौंसला  बरक़रार रखते हुए देश के लिए अपने जीवन की पूँजी का प्रयोग करके सामरिक महत्व के क्षेत्र में अपना योगदान करने को पेशकश की है।

हाल में मुम्बई में हुई पनडुब्बी दुर्घटना के बाद से बरेली के प्रख्यात इंजीनियर राजीव मोहन अपनी आदत के मुताबिक़ इसका कारण  खोजते रहे और इस दुर्घटना को लेकर अखबारों और इंटरनेट में आयी ख़बरों  का अध्ययन करते रहे। इससे पूर्व 2013 अगस्त में हुई सिंधु रक्षक पनडुब्बी हादसे पर भी उनकी नज़र गयी थी। खास बात यह है की दोनों ही हादसों का कारण  एक ही है और फिलहाल वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के लिए यह कारण  अज्ञात है।भारतीय नौसेना के विशेषज्ञ  भी इस हादसे की तह तक नहीं पहुँच पाये हैं ,मगर राजीव मोहन ने अब तक सामने आयी जानकारी के आधार पर तय कर लिया है कि बार- बार पनडुब्बियों की बैटरी फटने और इसी वजह से आग लगने की वजह और उसका स्थायी समाधान क्या है।

नौसेना की पनडुब्बी सिन्धुरत्न के दुर्घटना ग्रस्त हो जाने के पीछे का कारण जो भी रहे हों मगर जाहिर तौर सामने आई वजह  पनडुब्बी की बैटरी में विस्फोट के कारणऔर और उसके इलाज़ को बरेली के इंजीनियर राजीव मोहन ने हमेशा के लिए जड़ से ख़तम कर देना का दावा करते हुए भारत सरकार और नौसेना  को अपनी सेवाएँ देने की पेशकश की है। इंजीनियर राजीव मोहन छात्र जीवन से ही एक अविष्कारक और धुनी किस्म के व्यक्तित्व के धनी रहें है और खतरों और चुनौतियों का सामना करने का शौक उन्हें हर दिन भविष्य के लिए ऊर्जा देता है।


सन १९९० में हिमालयन कर रैली में भाग लेते हुए राजीव मोहन 
इंनीनियर राजीव मोहन एक बार फिर नयी चुनौती के लिए तैयार हैं ,बशर्ते भारत सरकार उनके प्रस्ताव को देख ले। गत २७ फरवरी को मुम्बई में हुए पनडुब्बी इस हादसे में दो अफसरों की जान गयी और इस हादसे का कारण भी पहले 2013 अगस्त में हुए सिधुरतन हादसे का कारन भी अज्ञात था ,नौसेना अध्यक्ष एडमिरल डी के  जोशी ने इस हादसे की  नैतिक जिम्मेदारी लेते हए अपने पद से इस्तीफ़ा भी दे दिया। राजीव मोहन खतरों के खिलाड़ी हैं और चुनौतियों के शौक़ीन। जवानी के दिनों में दुनिया की सबसे ऊंची सड़क पर मोटर साइकिल अभियान के बाद उन्होंने बरेली से हिमालयन कर रैली के प्रतिभागी बनकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बरेली को पहचान दिलाई थी। इंजीनयरिंग के किसी भी क्षेत्र  का मसला हो उन्हें उसे समझने में कभी दिक्कत नहीं आती,और बहुत समय भी नहीं लगता ,यह गुण उन्हें विधाता से मिला है इलेक्ट्रिकल मेकेनिकल और ऊर्जा क्षेत्र के में उनकी क़ाबलियत के कई उद्योग घराने आज भी मुरीद हैं ,यही नहीं आटोमोबाइल के क्षेत्र में उन्होंने दशकों  पहले ऐसे-ऐसे आविष्कार किये जो लागत कम करने के साथ बेह्तर प्रदर्शन के अलावा उपयोग में आसान और किफायती साबित हुए। इसका उन्होंने पेटेंट भी करा लिया है

पनी धुन के पक्के राजीव मोहन की ख़ास बात है जब भी किसी काम को हाथ में लेते हैं तो फिर उसको अंजाम  तक पहुंचा कर ही दम लेते हैं। एक बातचीत में उन्होंने बताया कि नौसेना कि इन पनडुब्बियों में उन्हें नहीं लगता कि कोई बड़ी तकनीकी खराबी  होगी ,जहां तक बैटरियां फटने का सवाल है ,जाहिर तौर पर इसका कारण आसानी से समझ में आने वाला नहीं ,मगर वह समझ गए हैं कि समस्या कहाँ है अगर भारत सर्कार उनके प्रस्ताव को स्वीकार  कर लेती है तो वह इस समाया को हमेशा के लिए जड़ से खत्म  कर सकते हैं। यह कोई बड़ी  बात नहीं है। इस सिलसिले में उन्होंने राष्ट्रपति  के अलावा प्रधानमन्त्री मन मोहनसिंह और रक्षा मंत्री ए के एंटोनी को प्रस्ताव भेज दिया है ,जवाब का इंतज़ार है। … और नीचे पढ़िए भारतीय  नौसेना की वह रिपोर्ट, जिसमे गत वर्ष के सिन्धुरक्षक हादसे की वजह अभी तक नामालूम है:-
सिंधु रक्षक पनडुब्बी 
Status Report as on 14 Aug 13An explosion resulting in a major fire took place on board INS Sindhurakshak, a Kilo class submarine of the Indian Navy, shortly after midnight on 14 August 2013.
Fire tenders from the Naval Dockyard as well as the Mumbai Fire Brigade were immediately pressed into action.  However, due to as-yet-unknown damage suffered as a result of the explosion, the submarine has submerged at her berth with only a portion visible above the surface.About 18 persons were on board the submarine at the time of the accident and efforts are on to ascertain the safety of the personnel and salvage of the submarine.A Board of Inquiry is being instituted to investigate into the causes of the accident
-आशीष अग्रवाल 

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